हाथ दोनों मिरी गर्दन में हमाइल कीजे
और ग़ैरों को दिखा दीजे अँगूठा अपना
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1620) Peoples Rate This
किसी सय्याद की पड़ जाए न चिड़िया पे नज़र
जा लड़ी यार से हमारी आँख
ओ सितमगर तिरी तलवार का धब्बा छट जाए
मुद्दत के बा'द इस ने लिखा मेरे नाम ख़त
मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब
दश्त-ए-वहशत-ख़ेज़ में उर्यां है 'आग़ा' आप ही
मय-कशों में न कोई मुझ सा नमाज़ी होगा
रक़ीब क़त्ल हुआ उस की तेग़-ए-अबरू से
नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं
दर-ब-दर फिरने ने मेरी क़द्र खोई ऐ फ़लक
देखिए पार हो किस तरह से बेड़ा अपना