वादा-ए-बादा-ए-अतहर का भरोसा कब तक
चल के भट्टी पे पिएँ जुर'आ-ए-इरफ़ाँ कैसा
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1350) Peoples Rate This
हाथ दोनों मिरी गर्दन में हमाइल कीजे
मय-कशो देर है क्या दौर चले बिस्मिल्लाह
तवाफ़-ए-काबा को क्या जाएँ हज नहीं वाजिब
दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और
ओ सितमगर तिरी तलवार का धब्बा छट जाए
मद्दाह हूँ मैं दिल से मोहम्मद की आल का
ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा
हज़ार जान से साहब निसार हम भी हैं
नमाज़ कैसी कहाँ का रोज़ा अभी मैं शग़्ल-ए-शराब में हूँ
देखो तो एक जा पे ठहरती नहीं नज़र
सर्व-क़द लाला-रुख़ ओ ग़ुंचा-दहन याद आया