ये क्या ग़ज़ब है जो कल तक सितम-रसीदा थे
सितमगरों में अब उन का भी नाम आया है
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Gulzar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Wasi Shah
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जब कभी बात किसी की भी बुरी लगती है
यूँ जो उफ़्ताद पड़े हम पे वो सह जाते हैं
मय-कशी के भी कुछ आदाब बरतना सीखो
सफ़र तवील सही हासिल-ए-सफ़र क्या था
तमाम उम्र कटी उस की जुस्तुजू करते
कुछ लोग तग़य्युर से अभी काँप रहे हैं
जहाँ में हो गई ना-हक़ तिरी जफ़ा बदनाम
टीपू की आवाज़
शगुफ़्तगी-ए-दिल-ए-वीराँ में आज आ ही गई
ख़्वाबों से यूँ तो रोज़ बहलते रहे हैं हम
हमारे हाथ में जब कोई जाम आया है