चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में
सैर कर आया है कोई चीन की दीवार पर
हम तो काहिल हैं मगर इस दौड़ में पीछे नहीं
लिफ़्ट हो तो हम भी चढ़ जाएँ क़ुतुब-मीनार पर
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मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है
ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते