दिल पे अपने चोट खा कर रो दिए
आशिक़ी में झुँझला कर रो दिए
लाठियों से आशिक़ों ने जब धुना
आप के पहलू में आ कर रो दिए
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
गधे के साथ इक लीडर का फोटो
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने