हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
ज़्यादा ख़ुशी में साँस अटकती ज़रूर है
ख़ुश हो रहा था दूल्हा तो क़ाज़ी ने यूँ कहा
''बुझने से पहले शम्अ भड़कती ज़रूर है''
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दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
जो आप पर फ़िदा हैं वो मेरे रक़ीब हैं
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है