मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम
मुझ को मालूम नहीं उस की तमन्ना क्या है
बारहवाँ बच्चा है घर में मिरे आने वाला
''ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है''
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जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
ऐ शैख़ कंघा करना नहीं ज़ेब देता यूँ
ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
अगर मिल गई हूर जन्नत में मुझ को
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में