Love Poetry of Abdullah Kamal

Love Poetry of Abdullah Kamal
नामअब्दुल्लाह कमाल
अंग्रेज़ी नामAbdullah Kamal
जन्म की तारीख1948
मौत की तिथि2010
जन्म स्थानMumbai

सुलग रहा है कोई शख़्स क्यूँ अबस मुझ में

तुम तो ऐ ख़ुशबू हवाओ उस से मिल कर आ गईं

इक मुसलसल जंग थी ख़ुद से कि हम ज़िंदा हैं आज

चमक दे चाँद को ठंडक हवा को दिल को उमंग

अभी गुनाह का मौसम है आ शबाब में आ

वादा-ए-वस्ल है लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार उठा

उस की जाम-ए-जम आँखें शीशा-ए-बदन मेरा

क़दम क़दम पे नया इम्तिहाँ है मेरे लिए

इतना यक़ीन रख कि गुमाँ बाक़ी रहे

हसीन ख़्वाब न दे अब यक़ीन-ए-सादा दे

अपने होने का इक इक पल तजरबा करते रहे

अना रही न मिरी मुतलक़-उल-इनानी की

अभी गुनाह का मौसम है आ शबाब में आ

अब्दुल्लाह कमाल Love Poetry in Hindi - Read famous Love Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अब्दुल्लाह कमाल. Largest collection of Love Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अब्दुल्लाह कमाल. Share the अब्दुल्लाह कमाल Love Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.