अब्दुर्रहीम नश्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्दुर्रहीम नश्तर

अब्दुर्रहीम नश्तर  कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्दुर्रहीम नश्तर
नामअब्दुर्रहीम नश्तर
अंग्रेज़ी नामAbdur Rahim Nashtar
जन्म स्थानAurangabad

वो सो रहा है ख़ुदा दूर आसमानों में

वो अजनबी तिरी बाँहों में जो रहा शब भर

उस ने चलते चलते लफ़्ज़ों का ज़हराब

फटे पुराने बदन से किसे ख़रीद सकूँ

पत्थर ने पुकारा था मैं आवाज़ की धुन में

मैं तेरी चाह में झूटा हवस में सच्चा हूँ

मैं भी तालाब का ठहरा हुआ पानी था कभी

देख रहा था जाते जाते हसरत से

अपनी ही ज़ात के सहरा में सुलगते हुए लोग

आवाज़ दे रहा है अकेला ख़ुदा मुझे

वो सो रहा है ख़ुदा दूर आसमानों में

वो शख़्स जिस ने ख़ुद अपना लहू पिया होगा

टूट कर देर तलक प्यार किया है मुझ को

सफ़ेद-पोश दरिंदों ने गुल खिलाए थे

फिर इक नए सफ़र पे चला हूँ मकान से

पंछियों के रू-ब-रू क्या ज़िक्र-ए-नादारी करूँ

मैं तेरी चाह में झूटा हवस में सच्चा हूँ

इन काली सड़कों प अक्सर ध्यान आया

दश्त-ए-अफ़्कार में सूखे हुए फूलों से मिले

चट्टान के साए में खड़ा सोच रहा हूँ

अगर हो ख़ौफ़-ज़दा ताक़त-ए-बयाँ कैसी

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