अबरार अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अबरार अहमद
नाम | अबरार अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abrar Ahmad |
जन्म की तारीख | 1954 |
जन्म स्थान | Lahore |
यूँ ही निमटा दिया है जिस को तू ने
ये ऊँट और किसी के हैं दश्त मेरा है
ये दाग़-ए-इश्क़ जो मिटता भी है चमकता भी है
याद भी तेरी मिट गई दिल से
तू कहीं बैठ और हुक्म चला
क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
मरकज़-ए-जाँ तो वही तू है मगर तेरे सिवा
मैं ठहरता गया रफ़्ता रफ़्ता
कि जैसे कुंज-ए-चमन से सबा निकलती है
कहीं कोई चराग़ जलता है
कभी तो ऐसा है जैसे कहीं पे कुछ भी नहीं
जो भी यकजा है बिखरता नज़र आता है मुझे
जिस काम में हम ने हाथ डाला
हम यक़ीनन यहाँ नहीं होंगे
हम अपनी राह पकड़ते हैं देखते भी नहीं
हर रुख़ है कहीं अपने ख़द-ओ-ख़ाल से बाहर
गुंजाइश-ए-अफ़्सोस निकल आती है हर रोज़
गो फ़रामोशी की तकमील हुआ चाहती है
फ़िराक़ ओ वस्ल से हट कर कोई रिश्ता हमारा है
ढंग के एक ठिकाने के लिए
भर लाए हैं हम आँख में रखने को मुक़ाबिल
ज़िंदा आदमी से कलाम
वक़्त गुज़रता नहीं
तुम जो आते हो
तिरी दुनिया के नक़्शे में
क़स्बाती लड़कों का गीत
पिछले पहर की दस्तक
पस-मंज़र की आवाज़
मुझे डर लगता है
मिट्टी थी किस जगह की