आसमानों पे नज़र आती है इस की सुर्ख़ी
जब किसी टूटे हुए दिल पे छुरी चलती है
फट न जाए कहीं क़ातिल का कलेजा 'अफ़ज़ल'
रक़्स करते हुए बिस्मिल पे छुरी चलती है
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Anwar Masood
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Habib Jalib
Gulzar
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(770) Peoples Rate This
तुम हमारे हो हम तुम्हारे हैं
किसी की याद रुलाये तो क्या किया जाए
सुलगती रेत पे तहरीर जो कहानी है
ग़मों का एक तूफ़ाँ दिल के अंदर शोर करता है
मैं हूँ बेगाना-ए-जहाँ 'अफ़ज़ल'
ये कौन आया है गुलशन में ताज़गी ले कर
इस क़दर जल्वा-ए-जानाँ को हैं बे-ताब आँखें
लुटा रहा हूँ मैं लाल-ओ-गुहर अँधेरे में
जिन्हें ज़मीर की दौलत ख़ुदा ने बख़्शी है
आसमानों पे नज़र आती है उस की सुर्ख़ी
शे'र की मैं रदीफ़ बन जाऊँ
हैं आँधियों में भी रौशन चराग़-ए-हक़ 'अफ़ज़ल'