आग़ाज़ बरनी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आग़ाज़ बरनी

आग़ाज़ बरनी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आग़ाज़ बरनी
नामआग़ाज़ बरनी
अंग्रेज़ी नामAghaz Barni

वो ख़्वाब जिस पे तीरा-शबी का गुमान था

उसे सुलझाऊँ कैसे

क़द का अंदाज़ा तुम्हें हो जाएगा

मिरे एहसास के आतिश-फ़िशाँ का

मैं तो बस ये चाहता हूँ वस्ल भी

मैं ख़ुद से छुपा लेकिन

ऐ शब-ए-ग़म मिरे मुक़द्दर की

अब अगर इश्क़ के आसार नहीं बदलेंगे

वो नज़र मेहरबाँ अगर होती

मैं हर्फ़-ए-इब्तिदा हूँ

घर से निकलना जब मिरी तक़दीर हो गया

दूर से क्या मुस्कुरा कर देखना

दिल था कि ग़म-ए-जाँ था

बे-हिसी इंसान का हासिल न हो

अगर कुछ ए'तिबार-ए-जिस्म-ओ-जाँ हो

अब अगर इश्क़ के आसार नहीं बदलेंगे

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