वो अपने ज़ोम में था बे-ख़बर रहा मुझ से
उसे ख़बर ही नहीं मैं नहीं रहा उस का
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हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तू
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया
मुहासरा
वापसी
इंतिसाब
जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो
मुद्दतें हो गईं 'फ़राज़' मगर
वो जिस घमंड से बिछड़ा गिला तो इस का है
ख़ुद को तिरे मेआर से घट कर नहीं देखा
हच-हाईकर
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले