Love Poetry of Akbar Hameedi

Love Poetry of Akbar Hameedi
नामअकबर हमीदी
अंग्रेज़ी नामAkbar Hameedi
जन्म की तारीख1935

किसी को अपने सिवा कुछ नज़र नहीं आता

तमाम आलम-ए-इम्काँ मिरे गुमान में है

शरार-ए-संग जो इस शोर-ओ-शर से निकलेगा

कहते हैं हम उधर हैं सितारा है जिस तरफ़

कहा था उस ने मोहब्बत की आबरू रखना

काफ़िर था मैं ख़ुदा का न मुंकिर दुआ का था

हू-ब-हू आप ही की मूरत है

हरीफ़-ए-गर्दिश-ए-अय्याम तो बने हुए हैं

हँसी में साग़र-ए-ज़र्रीं खनक खनक जाए

गई गुज़री कहानी लग रही है

देखने को कोई तय्यार नहीं है भाई

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