हर दुकाँ अपनी जगह हैरत-ए-नज़्ज़ारा है
फ़िक्र-ए-इंसाँ के सजाए हुए बाज़ार तो देख
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Rahat Indori
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मिलता नहीं मुझ को नक़्श अपना मुझ में
नफ़रत की हवा बन में चलाई किस ने
कुल आलम-ए-वुजूद कि इक दश्त-ए-नूर था
बदन से रिश्ता-ए-जाँ मो'तबर न था मेरा
आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है
दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से
शो'ले हैं कहीं तेज़ कहीं हैं मद्धम
मिरी शिकस्त भी थी मेरी ज़ात से मंसूब
पहुँच के जो सर-ए-मंज़िल बिछड़ गया मुझ से
किस नहज से हम ने इक कहानी कह दी