रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला
रंग मगर ख़ुद आसमान ने बदले कैसे कैसे
Gulzar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(794) Peoples Rate This
दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से
दूर तक बस इक धुँदलका गर्द-ए-तन्हाई का था
नफ़रत की हवा बन में चलाई किस ने
नए ख़ौफ़ का आज़ार
बस इक तसलसुल-ए-तकरार-ए-क़ुर्ब-ओ-दूरी था
दहकते कुछ ख़याल हैं अजीब अजीब से
आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है
मुसाफ़िरत का वलवला सियाहतों का मश्ग़ला
क़ब्र-ए-दर-ओ-दीवार से आगे निकले
सितम-ज़दा कई बशर क़दम क़दम पे थे
मुश्किल ही से कर लेती है दुनिया उसे क़ुबूल
छोड़ के माल-ओ-दौलत सारी दुनिया में अपनी