अख़तर शाहजहाँपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़तर शाहजहाँपुरी

अख़तर शाहजहाँपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़तर शाहजहाँपुरी
नामअख़तर शाहजहाँपुरी
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shahjahanpuri

ये मुंसिफ़ान-ए-शहर हैं ये पासबान-ए-शहर

यारान-ए-तेज़-गाम से रंजिश कहाँ है अब

वक़्त बे-रहम है मक़्तल की ज़मीनों जैसा

समुंदर सब के सब पायाब से हैं

राह-ए-वफ़ा में कोई हमें जानता न था

क़िस्मत में दर्द है तो दवा ही न लाऊँगा

लम्हा लम्हा यही सोचूँ यही देखा चाहूँ

कहाँ से लाएँगे आँसू अज़ा-दारी के मौसम में

जो ज़ेहन-ओ-दिल के ज़हरीले बहुत हैं

जो क़तरे में समुंदर देखते हैं

जो पलकों पर मिरी ठहरा हुआ है

जो फ़क़त शोख़ी-ए-तहरीर भी हो सकती है

जब मुख़ालिफ़ मिरा राज़-दाँ हो गया

हाथ जब मौसम के गीले हो गए हैं

इक उम्र भटकते रहे घर ही नहीं आया

दिल बहलने के वसीले दे गया वो

अगर बुलंदी का मेरी वो ए'तिराफ़ करे

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