अकरम महमूद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अकरम महमूद

अकरम महमूद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अकरम महमूद
नामअकरम महमूद
अंग्रेज़ी नामAkram Mahmud

ज़ख़्म देखे न मिरे ज़ख़्म की शिद्दत देखे

यूँ ही रक्खोगे इम्तिहाँ में क्या

सितारा आँख में दिल में गुलाब क्या रखना

निकल रहा हूँ यक़ीं की हद से गुमाँ की जानिब

मंज़िल-ए-ख़्वाब है और महव-ए-सफ़र पानी है

कोई हुनर तो मिरी चश्म-ए-अश्क-बार में है

ख़ाक से ख़्वाब तलक एक सी वीरानी है

चढ़े हुए हैं जो दरिया उतर भी जाएँगे

अगर हर चीज़ में उस ने असर रक्खा हुआ है

अब दिल भी दुखाओ तो अज़िय्यत नहीं होती

आँखों में ख़्वाब ताज़ा है दिल में नया ख़याल भी

आँख खुलने पे भी होता हूँ उसी ख़्वाब में गुम

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