अकरम नक़्क़ाश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अकरम नक़्क़ाश

अकरम नक़्क़ाश  कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अकरम नक़्क़ाश
नामअकरम नक़्क़ाश
अंग्रेज़ी नामAkram Naqqash
जन्म स्थानGulbarga

ये पूछ आ के कौन नसीबों जिया है दिल

ये कौन सी जगह है ये बस्ती है कौन सी

रख्खूँ कहाँ पे पाँव बढ़ाऊँ किधर क़दम

मयस्सर से ज़ियादा चाहता है

कुछ तो इनायतें हैं मिरे कारसाज़ की

जियूँगा मैं तिरी साँसों में जब तक

जैसे पानी पे नक़्श हो कोई

इश्क़ इक ऐसी हवेली है कि जिस से बाहर

हज़ार कारवाँ यूँ तो हैं मेरे साथ मगर

हवा भी चाहिए और रौशनी भी

बार-हा तू ने ख़्वाब दिखलाए

बदन मल्बूस में शोला सा इक लर्ज़ां क़रीन-ए-जाँ

अंधा सफ़र है ज़ीस्त किसे छोड़ दे कहाँ

टूटी हुई शबीह की तस्ख़ीर क्या करें

तू साथ है मगर कहीं तेरा पता नहीं

क़रार-ए-गुम-शुदा मेरे ख़ुदा कब आएगा

मैं नहीं हूँ नहीं कहीं भी नहीं

लहू तेज़ाब करना चाहता है

कुछ फ़ासला नहीं है अदू और शिकस्त में

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

कोई इल्ज़ाम मेरे नाम मेरे सर नहीं आया

खुली और बंद आँखों से उसे तकता रहा मैं भी

हैरत से देखता हुआ चेहरा किया मुझे

हैरत के दफ़्तर जाऊँ

हब्स-ए-दरूँ पे जिस्म-ए-गिराँ-बार संग था

गहरी सूनी राह और तन्हा सा मैं

दश्त को ढूँडने निकलूँ तो जज़ीरा निकले

ब-रंग-ए-ख़्वाब मैं बिखरा रहूँगा

ऐ अब्र-ए-इल्तिफ़ात तिरा ए'तिबार फिर

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