गुफ़्तुगू-ए-सूरत-ओ-म'अनी है उनवान-ए-हयात
खेलते हैं वो मिरी फ़ितरत की हैरानी के साथ
Parveen Shakir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Gulzar
Habib Jalib
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(623) Peoples Rate This
हरीम-ए-का'बा बना दी वो सर-ज़मीं मैं ने
चटक में ग़ुंचे की वो सौत-ए-जाँ-फ़ज़ा तो नहीं
फ़रेब-ए-जल्वा कहाँ तक ब-रू-ए-कार रहे
मुझी को पर्दा-ए-हस्ती में दे रहा है फ़रेब
ज़िंदगी क्या है जो दिल हो तश्ना-ए-ज़ौक़-ए-वफ़ा
तुम ने हर ज़र्रे में बरपा कर दिया तूफ़ान-ए-शौक़
दिल की आरज़ू थी दर्द दर्द-ए-बे-दवा पाया
हरीम-ए-काबा बना दी वो सर-ज़मीं मैं ने