अली सरदार जाफ़री कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अली सरदार जाफ़री
नाम | अली सरदार जाफ़री |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ali Sardar Jafri |
जन्म की तारीख | 1913 |
मौत की तिथि | 2000 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़ुल्म और जहल पर इसरार करोगे कब तक
ज़ुल्फ़-ए-शब-रंग की घनघोर घटा से छन कर
ज़िंदगानी ने दिया है ये मुझे हुक्म कि तू
ज़ेहन ओ जज़्बात ओ इशारात ओ किनायात बनी
ये तो हैं चंद ही जल्वे जो छलक आए हैं
ये हुकूमत के पुजारी हैं ये दौलत के ग़ुलाम
यक-ब-यक क्यूँ चमक उट्ठी हैं निगाहें तेरी
उन को मिलता ही नहीं है दुर-ए-मक़सूद कहीं
उन के क्या रंग थे अब याद नहीं है मुझ को
तू ने ख़ुद तल्ख़ बना रक्खी है दुनिया अपनी
तू नहीं है न सही तेरी मोहब्बत का ख़याल
तू हक़ीक़त को समझता है तिलिस्मी तस्वीर
तबस्सुम-ए-लब-ए-साक़ी चमन खिला ही गया
शीशा-ए-दिल को अगर ठेस कोई लगती है
शम्अ की तरह पिघलते हुए दिल देखे हैं
सारे आलम में ये उड़ता हुआ गुल-रंग निशाँ
साल-हा-साल फ़ज़ाओं में शरर-बार रही
रंग पर रंग निखरते ही चले आते हैं
फाँस की तरह हर इक साँस खटकती है मुझे
निकहत-ओ-रंग का तूफ़ान उमँड आया है
नसीम-ए-सुब्ह-ए-तसव्वुर ये किस तरफ़ से चली
मुत्तहिद हो के उठे ज़ुल्म के क़दमों से अवाम
मुन्तशर हो गई वुसअ'त में सितारों की तरह
मेरी दुनिया में मोहब्बत नहीं कहते हैं इसे
मौत को जानते हैं अस्ल-ए-हयात-ए-अबदी
मौत की आग में तप तप के निखरती है हयात
माँ की आग़ोश में हँसता हुआ इक तिफ़्ल-ए-जमील
मैं ने अपना ही भिगोया है अभी तो दामन
मैं तो भूला नहीं तुम भूल गई हो मुझ को
कोई हर गाम पे सौ दाम बिछा जाता है