ये तो हैं चंद ही जल्वे जो छलक आए हैं
रंग हैं और मिरे दिल के गुलिस्ताँ में अभी
मेरे आग़ोश-ए-तख़य्युल में हैं लाखों सुब्हें
आफ़्ताब और भी हैं मेरे गरेबाँ में अभी
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हुस्न ही हुस्न है फ़ितरत के सनम-ख़ाने में
मौत को जानते हैं अस्ल-ए-हयात-ए-अबदी
मेरे ख़्वाब
किस क़दर नूर-ए-सहर देख के शरमाते हैं
चश्म-ए-बीना में सितारों की हक़ीक़त क्या है
गरचे है मुश्त-ए-ग़ुबार आदम ओ हव्वा का वजूद
काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा
जन्नत ओ कौसर ओ अफ़रिश्ता ओ हूर ओ जिब्रील
प्यास जहाँ की एक बयाबाँ तेरी सख़ावत शबनम है
इंक़लाब आएगा रफ़्तार से मायूस न हो
शिकस्त-ए-शौक़ को तकमील-ए-आरज़ू कहिए
ख़ूगर-ए-रू-ए-ख़ुश-जमाल हैं हम