अलीमुल्लाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अलीमुल्लाह

अलीमुल्लाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अलीमुल्लाह
नामअलीमुल्लाह
अंग्रेज़ी नामAlimullah

यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा

तर्क दे इस्लाम को और कुफ़्र सारा दूर कर

तालाब इरादे का भरे पल में लबालब

इश्क़ के कूचे में जब जाता है दिल करने को सैर

चमन सूँ दिल के आलम को ख़बर नहिं

अजब कुछ इश्क़ की ख़ुश-तर है वादी

यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा

यार जब नैनों में आया हू-ब-हू

तू है किस मंज़िल में तेरा बोल खाँ है दिल का ठार

तेज़ी तिरे मिज़्गाँ की ये नश्तर से कहूँगा

समझ के देखो ऐ आरिफ़ाँ तुम किया है हक़ ने ये भेद कैसा

रक़ीब-ए-नफ़्स का मुख मोड़ता रह

राह में हक़ के अज़ीज़ाँ आप को क़ुर्बां करो

पिया के रुख़ की झलक का परतव किया है झलकार आफ़्ताबी

पीतम के देखने के तमाशा को जाएँ चल

नूर-ए-हक़ बे-हिजाब इश्क़-अल्लाह

नको नसीहत करो अज़ीज़ाँ निगा है हमना मुहन सूँ मीता

मुर्ग़ ज़ीरक अक़्ल का है इश्क़ का सय्याद शोख़

ला-मकाँ लग आशिक़ाँ के इश्क़ का पर्वाज़ है

लगा कर इश्क़ का कजरा नयन को

कीता कहीं पुकार ऐ ग़ाफ़िल बिया बिया

ख़यालात रंगीं नहीं बोलते उस को ज्यूँ बास फूलों के रंगों में रहिए

जब पियारा गिला सुनाता है

इश्क़ आ हम सूँ किया जब राम राम

इलाही बुलबुल-ए-गुलज़ार-मअनी कर लिसाँ मेरा

हुस्न का देख हर तरफ़ गुलज़ार

ग़फ़लत में सोया अब तिलक फिर होवेगा होश्यार कब

गर इश्क़ है तो देखने पिव को शिताब आ

दिलबर को दिलबरी सूँ मना यार कर रखूँ

दया साक़ी लबालब मुझ को साग़र

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