Sad Poetry of Alimullah

Sad Poetry of Alimullah
नामअलीमुल्लाह
अंग्रेज़ी नामAlimullah

यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा

तू है किस मंज़िल में तेरा बोल खाँ है दिल का ठार

राह में हक़ के अज़ीज़ाँ आप को क़ुर्बां करो

नूर-ए-हक़ बे-हिजाब इश्क़-अल्लाह

नको नसीहत करो अज़ीज़ाँ निगा है हमना मुहन सूँ मीता

मुर्ग़ ज़ीरक अक़्ल का है इश्क़ का सय्याद शोख़

ला-मकाँ लग आशिक़ाँ के इश्क़ का पर्वाज़ है

कीता कहीं पुकार ऐ ग़ाफ़िल बिया बिया

ख़यालात रंगीं नहीं बोलते उस को ज्यूँ बास फूलों के रंगों में रहिए

हुस्न का देख हर तरफ़ गुलज़ार

ग़फ़लत में सोया अब तिलक फिर होवेगा होश्यार कब

दिलबर को दिलबरी सूँ मना यार कर रखूँ

अक़्ल-ए-जुज़वी छोड़ कर ऐ यार फ़िक्र-ए-कुल करो

अपने से बे-समझ को हक़ की कहाँ पछानत

अजब चंचल मिला है यार हमना

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