कोई देखे तो मेरी नय-नवाज़ी
नफ़्स हिन्दी मक़ाम-ए-नग़्मा ताज़ी!
निगह आलूदा-ए-अंदाज़-ए-अफ़रंग!
तबीअत ग़ज़नवी क़िस्मत अयाज़ी!
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ला फिर इक बार वही बादा ओ जाम ऐ साक़ी
मुसलमाँ के लहू में है सलीक़ा दिल-नवाज़ी का
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
नया शिवाला
हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़्लाक में है
महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
एक सरमस्ती ओ हैरत है सरापा तारीक
नाला-ए-फ़िराक़
यही ज़माना-ए-हाज़िर की काएनात है क्या
न हो तुग़्यान-ए-मुश्ताक़ी तो मैं रहता नहीं बाक़ी
तराना-ए-मिल्ली
अफ़्लाक से आता है नालों का जवाब आख़िर