Islamic Poetry of Allama Iqbal

Islamic Poetry of Allama Iqbal
नामअल्लामा इक़बाल
अंग्रेज़ी नामAllama Iqbal
जन्म की तारीख1877
मौत की तिथि1938
जन्म स्थानLahore

वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ

तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर

सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है

मुरीद-ए-सादा तो रो रो के हो गया ताइब

मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने

मैं जो सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदा

मैं जो सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदा

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी

हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक

गला तो घोंट दिया अहल-ए-मदरसा ने तिरा

बुतों से तुझ को उमीदें ख़ुदा से नौमीदी

आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी

ज़ौक़ ओ शौक़

तुलू-ए-इस्लाम

तस्वीर-ए-दर्द

तारिक़ की दुआ

तराना-ए-मिल्ली

शिकवा

साक़ी-नामा

नया शिवाला

मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा

मार्च 1907

लेनिन

ला-इलाहा-इल्लल्लाह

जिब्रईल ओ इबलीस

जावेद के नाम

जवाब-ए-शिकवा

इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर

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