आलोक यादव कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आलोक यादव

आलोक यादव कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आलोक यादव
नामआलोक यादव
अंग्रेज़ी नामAlok Yadav
जन्म की तारीख1967
जन्म स्थानDelhi

यूँ निभाता हूँ मैं रिश्ते 'आलोक'

वाइ'ज़ सफ़र तो मेरा भी था रूह की तरफ़

सुन रहा हूँ कि वो आएँगे हँसाने मुझ को

प्यार का दोनों पे आख़िर जुर्म साबित हो गया

नई नस्लों के हाथों में भी ताबिंदा रहेगा

मुझ को जन्नत के नज़ारे भी नहीं जचते हैं

मिरे लिए हैं मुसीबत ये आइना-ख़ाने

हुस्न की दिलकशी पे नाज़ न कर

हद-ए-इमकान से आगे मैं जाना चाहता हूँ पर

एक उम्र से तुझे मैं बे-उज़्र पी रहा हूँ

दिलकशी थी उन्सियत थी या मोहब्बत या जुनून

धावा बोलेगा बहुत जल्द ख़िज़ाँ का लश्कर

यहाँ हो रहीं हैं वहाँ हो रहीं हैं

सरापा तिरा क्या क़यामत नहीं है?

सब्ज़ है पैरहन चाँद का आज फिर

रक़ाबत क्यूँ है तुम को आसमाँ से

मिरी क़ुर्बतों की ख़ातिर यूँही बे-क़रार होता

खुला है ज़ीस्त का इक ख़ुशनुमा वरक़ फिर से

जो भी सूखे गुल किताबों में मिले अच्छे लगे

गुलों की गर इनायत हो गई तो

इक ज़रा सी चाह में जिस रोज़ बिक जाता हूँ मैं

भटका करूँगा कब तक राहों में तेरी आ कर

भरे जो ज़ख़्म तो दाग़ों से क्यूँ उलझें?

बाज़ ख़त पुर-असर भी होते हैं

अंजुमन में जो मिरी इतनी ज़िया है साहब

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