जो कुछ मुसीबतें हैं तुझ पर कम हैं
ख़ुशियाँ दुनिया की तेरे हक़ में सम हैं
ग़म से क्यूँ दूर भागता है अमजद
मा'लूम नहीं तुझे कि ग़म में हम हैं
Anwar Masood
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Javed Akhtar
Parveen Shakir
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सरमाया-ए-इल्म-ओ-फ़ज़्ल खोया मैं ने
सब कहते हैं मरकज़-ए-बदी है दुनिया
है उन की यही ख़ुशी कि हम ग़म में रहें
हर क़तरे में बहर-ए-मा'रफ़त मुज़्मर है
हर ज़र्रे पे फ़ज़्ल-ए-किबरिया होता है
हर महफ़िल से ब-हाल-ए-ख़स्ता निकला
मर मर के लहद में मैं ने जा पाई है
कुछ वक़्त से एक बीज शजर होता है
दुनिया के हर एक ज़र्रे से घबराता हूँ
असलियत अगर नहीं तो धोका ही सही
कम-ज़र्फ़ अगर दौलत-ओ-ज़र पाता है