Ghazals of Anjum Saleemi

Ghazals of Anjum Saleemi
नामअंजुम सलीमी
अंग्रेज़ी नामAnjum Saleemi
जन्म की तारीख1963
जन्म स्थानFaislabad

ज़ुहूर-ए-कश्फ़-ओ-करामात में पड़ा हुआ हूँ

ये मोहब्बत का जो अम्बार पड़ा है मुझ में

उसे छूते हुए भी डर रहा था

उम्र की सारी थकन लाद के घर जाता हूँ

सुल्ह के बअ'द मोहब्बत नहीं कर सकता मैं

सख़्त मुश्किल में किया हिज्र ने आसान मुझे

सहर को खोज चराग़ों पे इंहिसार न कर

सब को अपने ज़ेहन से झटका ख़ुद को याद किया

रात तिरे ख़्वाबों ने मुझ पर यूँ अर्ज़ानी की

मुझे भी सहनी पड़ेगी मुख़ालिफ़त अपनी

मैं ख़ुद को मिस्मार कर के मलबा बना रहा हूँ

मैं जब वजूद से होते हुए गुज़रता हूँ

ख़ुद अपने हाथ से क्या क्या हुआ नहीं मिरे साथ

खींचा हुआ है गर्दिश-ए-अफ़्लाक ने मुझे

ख़ाक छानी न किसी दश्त में वहशत की है

कल तो तिरे ख़्वाबों ने मुझ पर यूँ अर्ज़ानी की

कैसी सोहबत है कैसी तन्हाई

काग़ज़ था मैं दिए पे मुझे रख दिया गया

जस्त भरता हुआ फ़र्दा के दहाने की तरफ़

इस से आगे तो बस ला-मकाँ रह गया

इन दिनों ख़ुद से फ़राग़त ही फ़राग़त है मुझे

हवा का तख़्त बिछाता हूँ रक़्स करता हूँ

फ़लक-नज़ाद सही सर-निगूँ ज़मीं पे था मैं

इक दूजे को देर से समझा देर से यारी की

दीवार पे रक्खा तो सितारे से उठाया

दिन ले के जाऊँ साथ उसे शाम कर के आऊँ

दर्द-ए-विरासत पा लेने से नाम नहीं चल सकता

चराग़ हाथ में हो तो हवा मुसीबत है

चला हवस के जहानों की सैर करता हुआ

बुझने दे सब दिए मुझे तन्हाई चाहिए

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