मैं सब का सब मोहब्बत के लिए हूँ
सो ला-महदूद मुद्दत के लिए हूँ
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
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Gulzar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Rahat Indori
Wasi Shah
Anwar Masood
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मैं दिल-ए-गिरफ़्ता तुझे गुनगुनाता रहता हूँ
गिर्या
उसे छूते हुए भी डर रहा था
एक ताबीर की सूरत नज़र आई है इधर
सभी दरवाज़े खुले हैं मिरी तन्हाई के
मैं जिस चराग़ से बैठा था लौ लगाए हुए
ख़ाक छानी न किसी दश्त में वहशत की है
ये मोहब्बत का जो अम्बार पड़ा है मुझ में
सुल्ह के बअ'द मोहब्बत नहीं कर सकता मैं
चला हवस के जहानों की सैर करता हुआ
पुर्सा
तन्हाई का सफ़रनामा