Heart Broken Poetry of Anwar Masood

Heart Broken Poetry of Anwar Masood
नामअनवर मसूद
अंग्रेज़ी नामAnwar Masood
जन्म की तारीख1935

जुदा होगी कसक दिल से न उस की

हमें क़रीना-ए-रंजिश कहाँ मयस्सर है

दिल जो टूटेगा तो इक तरफ़ा चराग़ाँ होगा

ऐ दिल-ए-नादाँ किसी का रूठना मत याद कर

मेरी पहली नज़्म

उसे तो पास-ए-ख़ुलूस-ए-वफ़ा ज़रा भी नहीं

सर-दर्द में गोली ये बड़ी ज़ूद-असर है

रात आई है बलाओं से रिहाई देगी

पढ़ने भी न पाए थे कि वो मिट भी गई थी

मुझे ख़ुद से भी खटका सा लगा था

मेरी क़िस्मत कि वो अब हैं मिरे ग़म-ख़्वारों में

मैं जुर्म-ए-ख़मोशी की सफ़ाई नहीं देता

मैं देख भी न सका मेरे गिर्द क्या गया था

क्यूँ किसी और को दुख दर्द सुनाऊँ अपने

कैसी कैसी आयतें मस्तूर हैं नुक़्ते के बीच

कब ज़िया-बार तिरा चेहरा-ए-ज़ेबा होगा

कब तलक यूँ धूप छाँव का तमाशा देखना

जो बारिशों में जले तुंद आँधियों में जले

इशारतों की वो शर्हें वो तज्ज़िया भी गया

इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते

दुनिया भी अजब क़ाफ़िला-ए-तिश्ना-लबाँ है

दरमियाँ गर न तिरा वादा-ए-फ़र्दा होता

दर्द बढ़ता ही रहे ऐसी दवा दे जाओ

बस यूँही इक वहम सा है वाक़िआ ऐसा नहीं

बस अब तर्क-ए-तअल्लुक़ के बहुत पहलू निकलते हैं

अगले दिन कुछ ऐसे होंगे

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