Love Poetry of Anwar Masood
नाम | अनवर मसूद |
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अंग्रेज़ी नाम | Anwar Masood |
जन्म की तारीख | 1935 |
वहाँ ज़ेर-ए-बहस आते ख़त-ओ-ख़ाल ओ ख़ू-ए-ख़ूबाँ
उर्दू से हो क्यूँ बेज़ार इंग्लिश से क्यूँ इतना प्यार
बे-हिर्स-ओ-ग़रज़ क़र्ज़ अदा कीजिए अपना
'अनवर' मिरी नज़र को ये किस की नज़र लगी
मेरी पहली नज़्म
उसे तो पास-ए-ख़ुलूस-ए-वफ़ा ज़रा भी नहीं
तय हो गया है मसअला जब इंतिसाब का
सोचना रूह में काँटे से बिछाए रखना
शिकवा-ए-गर्दिश-ए-हालात लिए फिरता है
रात आई है बलाओं से रिहाई देगी
पढ़ने भी न पाए थे कि वो मिट भी गई थी
पढ़ने भी न पाए थे कि वो मिट भी गई थी
मेरी क़िस्मत कि वो अब हैं मिरे ग़म-ख़्वारों में
मैं जुर्म-ए-ख़मोशी की सफ़ाई नहीं देता
मैं देख भी न सका मेरे गिर्द क्या गया था
जो बारिशों में जले तुंद आँधियों में जले
इशारतों की वो शर्हें वो तज्ज़िया भी गया
इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते
बस यूँही इक वहम सा है वाक़िआ ऐसा नहीं
बस अब तर्क-ए-तअल्लुक़ के बहुत पहलू निकलते हैं
अगले दिन कुछ ऐसे होंगे