गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ
काट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ
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उन की सूरत हमें आई थी पसंद आँखों से
शक नहीं है हमें उस बुत के ख़ुदा होने में
कुछ दिन तो कर तआ'वुन ऐ ख़ुश-सिफ़ात मुझ से
तेरी आस पे जीता था मैं वो भी ख़त्म हुई
'शुऊर' सिर्फ़ इरादे से कुछ नहीं होता
'शुऊर' वक़्त पे दिल की दवा हुई होती
किया बादलों में सफ़र ज़िंदगी भर
कड़ा है दिन बड़ी है रात जब से तुम नहीं आए
बहुत इरादा किया कोई काम करने का
हवस बला की मोहब्बत हमें बला की है
कुछ दिनों अपने घर रहा हूँ मैं
सामने आ कर वो क्या रहने लगा