इश्क़ तो हर शख़्स करता है 'शुऊर'
तुम ने अपना हाल ये क्या कर लिया
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Gulzar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(850) Peoples Rate This
ज़बाँ ज़बाँ पे है एलान-ए-तर्क-ए-तम्बाकू
आदमी बन के मिरा आदमियों में रहना
मुझे ये जुस्तुजू क्यूँ हो कि क्या हूँ और किया था मैं
ज़माने के झमेलों से मुझे क्या
ख़त्म हर अच्छा बुरा हो जाएगा
उबूर कर न सके हम हदें ही ऐसी थीं
'शुऊर' ख़ुद को ज़हीन आदमी समझते हैं
चले आया करो मेरी तरफ़ भी!
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़
जो जल उठी है शबिस्ताँ में याद सी क्या है