अक़ील शादाब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अक़ील शादाब

अक़ील शादाब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अक़ील शादाब
नामअक़ील शादाब
अंग्रेज़ी नामAqeel Shadab

हर एक लम्हा सरों पे है सानेहा ऐसा

ज़िंदगी मुझ को मिरी नज़रों में शर्मिंदा न कर

यूँ देखने में तो ऊपर से सख़्त हूँ शायद

शायद कोई कमी मेरे अंदर कहीं पे है

मेरे ज़ेहन-ओ-दिल में फ़िक्र-ओ-फ़न में था

मताअ-ओ-माल न दे दौलत-ए-तबाही दे

मय-कशो जान के लाले नज़र आते हैं मुझे

लिबास गर्द का और जिस्म नूर का निकला

हवस-परस्ती ओ ग़ारत-गरी की लत न गई

हवस का रंग चढ़ा उस पे और उतर भी गया

बराए-नाम सही कोई मेहरबान तो है

बाइ'स-ए-अर्ज़-ए-हुनर कर्ब-ए-निहानी निकला

असर मिरी ज़बान में नहीं रहा

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