आरिफ़ अब्दुल मतीन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरिफ़ अब्दुल मतीन

आरिफ़ अब्दुल मतीन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरिफ़ अब्दुल मतीन
नामआरिफ़ अब्दुल मतीन
अंग्रेज़ी नामArif Abdul Mateen
जन्म की तारीख1923
मौत की तिथि2001
जन्म स्थानLahore

ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं

गुल-दान

ज़ात का आईना जब देखा तो हैरानी हुई

वफ़ा निगाह की तालिब है इम्तिहाँ की नहीं

तितलियाँ रंगों का महशर हैं कभी सोचा न था

तीरा-ओ-तार ख़लाओं में भटकता रहा ज़ेहन

था ए'तिमाद-ए-हुस्न से तू इस क़दर तही

कभी ख़याल के रिश्तों को भी टटोल के देख

हमीं ने रास्तों की ख़ाक छानी

चाँद मेरे घर में उतरा था कहीं डूबा न था

हयूले

ज़मीं से ता-ब-फ़लक कोई फ़ासला भी नहीं

वो कारवान-ए-बहाराँ कि बे-दरा होगा

तितलियाँ रंगों का महशर हैं कभी सोचा न था

तिरे बाज़ूओं का सहारा तो ले लूँ मगर उन में भी रच गई है थकन

तिरे बाज़ुओं का सहारा तो ले लूँ मगर इन में भी रच गई है थकन

रूह के जलते ख़राबे का मुदावा भी नहीं

मेरी सोच लरज़ उट्ठी है देख के प्यार का ये आलम

मैं जिस को राह दिखाऊँ वही हटाए मुझे

मैं अज़ल का राह-रौ मुझ को अबद की जुस्तुजू

कितनी हसरत से तिरी आँख का बादल बरसा

जो उभरे वक़्त के साँचे में ढल के

हम भी नादाँ हैं समझते हैं कि छट जाएगी

ढूँढता हूँ सर-ए-सहरा-ए-तमन्ना ख़ुद को

छुपाए दिल में हम अक्सर तिरी तलब भी चले

चाँद मेरे घर में उतरा था कहीं डूबा न था

बजा कि कश्ती है पारा पारा थपेड़े तूफ़ाँ के खा रहा हूँ

'आरिफ़' अज़ल से तेरा अमल मोमिनाना था

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