आरिफ़ शफ़ीक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरिफ़ शफ़ीक़

आरिफ़ शफ़ीक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरिफ़ शफ़ीक़
नामआरिफ़ शफ़ीक़
अंग्रेज़ी नामArif Shafiq
जन्म की तारीख1956

तुझे मैं ज़िंदगी अपनी समझ रहा था मगर

मुझ को वैसा ख़ुदा मिला बिल्कुल

कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का

जो मेरे गाँव के खेतों में भूक उगने लगी

ग़रीब-ए-शहर तो फ़ाक़े से मर गया 'आरिफ़'

अपने दरवाज़े पे ख़ुद ही दस्तकें देता है वो

अंधे अदम वजूद के गिर्दाब से निकल

'आरिफ़'-हुसैन धोका सही अपनी ज़िंदगी

तू ज़मीं पर है कहकशाँ जैसा

कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का

जो अपनी ख़्वाहिशों में तू ने कुछ कमी कर ली

जब भी दुश्मन बन के इस ने वार किया

हमें नज़दीक कब दिल की मोहब्बत खींच लाती है

घर से चीख़ें उठ रही थीं और मैं जागा न था

दोज़ख़ भी क्या गुमान है जन्नत भी है फ़रेब

बादबाँ को गिला हवाओं से

अंधे अदम वजूद के गिर्दाब से निकल

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