अर्श मलसियानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अर्श मलसियानी

अर्श मलसियानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अर्श मलसियानी
नामअर्श मलसियानी
अंग्रेज़ी नामArsh Malsiyani
जन्म की तारीख1908
मौत की तिथि1979

वो सहरा जिस में कट जाते हैं दिन याद-ए-बहाराँ से

तिरी दुनिया को ऐ वाइज़ मिरी दुनिया से क्या निस्बत

तौबा तौबा ये बला-ख़ेज़ जवानी तौबा

साक़ी मिरी ख़मोश-मिज़ाजी की लाज रख

पी लेंगे ज़रा शैख़ तो कुछ गर्म रहेंगे

न नशेमन है न है शाख़-ए-नशेमन बाक़ी

मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है

मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं

ख़ुश्क बातों में कहाँ है शैख़ कैफ़-ए-ज़िंदगी

जितनी वो मिरे हाल पे करते हैं जफ़ाएँ

इस इंतिहा-ए-तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद

हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब

है देखने वालों को सँभलने का इशारा

है देखने वालों को सँभलने का इशारा

फ़रिश्ते को मिरे नाले यूँही बदनाम करते हैं

इक रौशनी सी दिल में थी वो भी नहीं रही

दिए जलाए उम्मीदों ने दिल के गिर्द बहुत

दर्द मेराज को पहुँचता है

चमन में कौन है पुरसान-ए-हाल शबनम का

बस इसी धुन में रहा मर के मिलेगी जन्नत

बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है

'अर्श' पहले ये शिकायत थी ख़फ़ा होता है वो

'अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ

मेरे प्यारे वतन

मेरा वतन

मैं क्यूँ भूल जाऊँ

जश्न-ए-आज़ादी

हिन्दोस्तान मेरा

दीवाली

भारत के वीर सिपाही

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