Love Poetry of Arsh Siddiqui

Love Poetry of Arsh Siddiqui
नामअर्श सिद्दीक़ी
अंग्रेज़ी नामArsh Siddiqui
जन्म की तारीख1927
मौत की तिथि1997
जन्म स्थानMultan

बाज़-गश्त

रौशनी बन के सितारों में रवाँ रहते हैं

इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ

इसे कहना

ज़माने भर ने कहा 'अर्श' जो, ख़ुशी से सहा

ज़ंजीर से उठती है सदा सहमी हुई सी

वक़्त का झोंका जो सब पत्ते उड़ा कर ले गया

संग-ए-दर उस का हर इक दर पे लगा मिलता है

फिर हुनर-मंदों के घर से बे-बुनर जाता हूँ मैं

मैं आलम-ए-इम्काँ में जिसे ढूँढ रहा हूँ

क्या साथ तिरा दूँ कि मैं इक मौज-ए-हवा हूँ

हम हद-ए-इंदिमाल से भी गए

हैराँ हूँ कि ये कौन सा दस्तूर-ए-वफ़ा है

ग़म की गर्मी से दिल पिघलते रहे

दरवाज़ा तिरे शहर का वा चाहिए मुझ को

बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का अंदाज़ा लगा

बैठा हूँ वक़्फ़-ए-मातम-ए-हस्ती मिटा हुआ

अज़ाब-ए-बे-दिली-ए-जान-ए-मुब्तला न गया

अर्श सिद्दीक़ी Love Poetry in Hindi - Read famous Love Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अर्श सिद्दीक़ी. Largest collection of Love Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अर्श सिद्दीक़ी. Share the अर्श सिद्दीक़ी Love Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.