हाए रे प्यारी प्यारी आँख
हाए रे प्यारी प्यारी आँख
मतवाली रत-नारी आँखें
ग़ारत-ए-दिल पर टूट पड़ी है
श्याम-नगर की कुमारी आँखें
उस घड़ी देखो इन का आलम
नींद से जब हों भारी आँखें
ज़हर कभी हैं और कभी अमृत
उन की बारी बारी आँखें
जिन को झपकना याद नहीं है
हैरत की हैं वो मारी आँखें
तकती हैं अब तक राह किसी की
सुब्ह ओ शाम शिकारी आँखें
कौन 'असर' की नज़र में समाए
देखी है उस ने तुम्हारी आँखें
(827) Peoples Rate This