आसिफ़ रज़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आसिफ़ रज़ा

आसिफ़ रज़ा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आसिफ़ रज़ा
नामआसिफ़ रज़ा
अंग्रेज़ी नामAsif Raza

ये मिरी बज़्म नहीं है लेकिन

ये दिल में वसवसा क्या पल रहा है

तेरा मेरा है गुमाँ का रिश्ता

ता-कि न निगाहों को अंधेरे नज़र आएँ

सिर्फ़ मैं अपनी कहानी ही नहीं

जतन तो ख़ूब किए उस ने टालने के मगर

भूल बैठा हूँ मैं ज़माने को

अजनबी मुझ से आ गले मिल ले

आँसुओं को फ़ुज़ूल मत समझो

ज़मीं की रात

तज़लील

तलाश

तख़्लीक़

शायद

राज़

मुक़ावमत

मक़्सूद-अली-'दीवाना'

माँ

जुर्म

दूर की शहज़ादी

ये मिरी बज़्म नहीं है लेकिन

ये दिल में वसवसा क्या पल रहा है

साहिल-ए-इंतिज़ार में तन्हा

सफ़ीना ग़र्क़ हुआ मेरा यूँ ख़मोशी से

जिन के ज़ेर-ए-नगीं सितारे हैं

दिल-गिरफ़्ता हूँ जहाँ-शाद हूँ मैं

दिल और तरह आज तो घबराया हुआ है

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