आसिमा ताहिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आसिमा ताहिर

आसिमा ताहिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आसिमा ताहिर
नामआसिमा ताहिर
अंग्रेज़ी नामAsima Tahir

शाम खुलती है तेरे आने से

शहज़ादी के कानों में जो बात कही थी इक तू ने

नहीं वो इतना भी पागल नहीं था

मुझ को ख़्वाबों के बाग़ में ला कर

मिरे वजूद के अंदर है इक क़दीम मकान

ख़्वाब का इंतिज़ार ख़त्म हुआ

ख़ुश्बू जैसी रात ने मेरा

हम ने जब हाल-ए-दिल उन से अपना कहा

डूबने की न तैरने की ख़बर

चुभ रही है अँधेरी रात मुझे

बाम-ओ-दर पर उतरने वाली धूप

आइने पर तो है भरोसा मुझे

नज़्म

नज़्म

ज़ख़्म खा के भी मुस्कुराते हैं

ये सोचा ही नहीं था तिश्नगी में

तेरी यादें बहाल रखती है

सुनहरी धूप से चेहरा निखार लेती हूँ

सदियों को बेहाल किया था

पौ फटते ही ट्रेन की सीटी जब कानों में गूँजती है

किस के मातम में रो रही है रात

ख़ुद मैं धूनी रमाए बैठी हूँ

अपनी हालत पे आँसू बहाने लगे

अपनी आँखें जो बंद कर देखूँ

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