Hope Poetry of Aslam Ansari

Hope Poetry of Aslam Ansari
नामअसलम अंसारी
अंग्रेज़ी नामAslam Ansari
जन्म की तारीख1939

दीवार-ए-ख़स्तगी हूँ मुझे हाथ मत लगा

फ़क़त हर्फ़-ए-तमन्ना क्या है

एक नज़्म

ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल

वो नख़्ल जो बार-वर हुए हैं

मुझे तो ये भी फ़रेब-ए-हवास लगता है

कुछ तो ग़म-ख़ाना-ए-हस्ती में उजाला होता

ख़फ़ा न हो कि तिरा हुस्न ही कुछ ऐसा था

हर शख़्स इस हुजूम में तन्हा दिखाई दे

गुबार-ए-एहसास-ए-पेश-ओ-पस की अगर ये बारीक तह हटाएँ

बुझी है आतिश-ए-रंग-ए-बहार आहिस्ता आहिस्ता

अपनी सदा की गूँज ही तुझ को डरा न दे

ऐन-मुमकिन है किसी तर्ज़-ए-अदा में आए

अब और चलने का इस दिल में हौसला ही न था

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