अज़हर फ़राग़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़हर फ़राग़

अज़हर फ़राग़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़हर फ़राग़
नामअज़हर फ़राग़
अंग्रेज़ी नामAzhar Faragh
जन्म की तारीख1980
जन्म स्थानBhawalpur, Pakistan

प्यास की पैदाइश तो कल का क़िस्सा है

ये नहीं देखते कितनी है रियाज़त किस की

ये लोग जा के कटी बोगियों में बैठ गए

ये ख़मोशी मिरी ख़मोशी है

ये कच्चे सेब चबाने में इतने सहल नहीं

ये जो रहते हैं बहुत मौज में शब भर हम लोग

ये ए'तिमाद भी मेरा दिया हुआ है तुम्हें

वो दस्तियाब हमें इस लिए नहीं होता

वस्ल के एक ही झोंके में

वैसे तो ईमान है मेरा उन बाँहों की गुंजाइश पर

उसे कहो जो बुलाता है गहरे पानी में

उस से हम पूछ थोड़ी सकते हैं

ठहरना भी मिरा जाना शुमार होने लगा

तेज़ आँधी में ये भी काफ़ी है

तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझ को क़ुबूल

मेरी नुमू है तेरे तग़ाफ़ुल से वाबस्ता

मंज़र-ए-शाम-ए-ग़रीबाँ है दम-ए-रुख़्सत-ए-ख़्वाब

मैं जानता हूँ मुझे मुझ से माँगने वाले

महसूस कर लिया था भँवर की थकान को

कुछ नहीं दे रहा सुझाई हमें

किसी बदन की सयाहत निढाल करती है

ख़ुद पर हराम समझा समर के हुसूल को

ख़तों को खोलती दीमक का शुक्रिया वर्ना

इज़ाला हो गया ताख़ीर से निकलने का

हम अपनी नेकी समझते तो हैं तुझे लेकिन

हमारे ज़ाहिरी अहवाल पर न जा हम लोग

हाए वो भीगा रेशमी पैकर

गिरते पेड़ों की ज़द में हैं हम लोग

गीले बालों को सँभाल और निकल जंगल से

एक होने की क़स्में खाई जाएँ

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