अज़ीज़ लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़ीज़ लखनवी (page 2)
नाम | अज़ीज़ लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Aziz Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1882 |
मौत की तिथि | 1935 |
जन्म स्थान | Lucknow |
जब से ज़ुल्फ़ों का पड़ा है इस में अक्स
इतना भी बार-ए-ख़ातिर-ए-गुलशन न हो कोई
हुस्न-ए-आरास्ता क़ुदरत का अतिय्या है मगर
हिज्र की रात काटने वाले
हक़ारत से न देखो साकिनान-ए-ख़ाक की बस्ती
हमेशा तिनके ही चुनते गुज़र गई अपनी
हमेशा से मिज़ाज-ए-हुस्न में दिक़्क़त-पसंदी है
हाए क्या चीज़ थी जवानी भी
हादसात-ए-दहर में वाबस्ता-ए-अर्बाब-ए-दर्द
दुनिया का ख़ून दौर-ए-मोहब्बत में है सफ़ेद
दुआएँ माँगी हैं साक़ी ने खोल कर ज़ुल्फ़ें
दिल समझता था कि ख़ल्वत में वो तन्हा होंगे
दिल नहीं जब तो ख़ाक है दुनिया
दिल की आलूदगी-ए-ज़ख़्म बढ़ी जाती है
दिल के अज्ज़ा में नहीं मिलता कोई जुज़्व-ए-निशात
बे-ख़ुदी कूचा-ए-जानाँ में लिए जाती है
बताओ ऐसे मरीज़ों का है इलाज कोई
बनी हैं शहर-आशोब-ए-तमन्ना
अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न
ऐ सोज़-ए-इश्क़-ए-पिन्हाँ अब क़िस्सा मुख़्तसर है
अहद में तेरे ज़ुल्म क्या न हुआ
आप जिस दिल से गुरेज़ाँ थे उसी दिल से मिले
आईना छोड़ के देखा किए सूरत मेरी
'मीर'
लज़्ज़त-ए-ग़म
बचपने की याद
आतिश-ए-ख़ामोश
ये मशवरा बहम उठ्ठे हैं चारा-जू करते
ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं
वो निगाहें क्या कहूँ क्यूँ कर रग-ए-जाँ हो गईं