उदासी अब किसी का रंग जमने ही नहीं देती
कहाँ तक फूल बरसाए कोई गोर-ए-ग़रीबाँ पर
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(726) Peoples Rate This
दिल नहीं जब तो ख़ाक है दुनिया
तुम्हें हँसते हुए देखा है जब से
माना कि बज़्म-ए-हुस्न के आदाब हैं बहुत
सामने आइना था मस्ती थी
मिरे नासेह मुझे समझा रहे हैं
इंतिहा-ए-इश्क़ हो यूँ इश्क़ में कामिल बनो
अहद में तेरे ज़ुल्म क्या न हुआ
क़फ़स में जी नहीं लगता है आह फिर भी मिरा
दिल कुश्ता-ए-नज़र है महरूम-ए-गुफ़्तुगू हूँ
चारागर चुप हैं क्यूँ इलाज करें
ग़लत है दिल पे क़ब्ज़ा क्या करेगी बे-ख़ुदी मेरी
कर चुके बर्बाद दिल को फ़िक्र क्या अंजाम की