अजीब कैफ़ियत आख़िर तलक रही दिल की

अजीब कैफ़ियत आख़िर तलक रही दिल की

फ़राज़-ए-दार में भी जुस्तुजू थी मंज़िल की

वो हुस्न जिस से मिला है मुझे शुऊर-ए-वफ़ा

ख़ुदा नहीं था तो क्यूँ वही-ए-इश्क़ नाज़िल की

तराशे कितने ही बुत आज़री के फ़न ने मगर

मिली न एक भी सूरत तिरे मुक़ाबिल की

अब आँखें बंद हैं ताकि कोई समझ न सके

मिरी निगाह में तस्वीर होगी क़ातिल की

दिमाग़ दीदा ओ दिल सब ने रोकना चाहा

मगर जुनूँ ने मिरी हर दलील बातिल की

इसी को कहते हैं साहिल पे रह के तिश्ना-लबी

तलाश है तिरी महफ़िल में जान-ए-महफ़िल की

ये बात सच है कि मरना सभी को है लेकिन

अलग ही होती है लज़्ज़त निगाह-ए-क़ातिल की

था रहबरों पे भरोसा तो अब भटकता हूँ

मुझे ख़बर ही नहीं थी फ़रेब-ए-मंज़िल की

मियाँ 'शहीद' ये माना कि तुम भी शायर हो

मगर बताओ कि हक़ आगही भी हासिल की

(953) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ajib Kaifiyat AaKHir Talak Rahi Dil Ki In Hindi By Famous Poet Aziz-ur-Rahman Shaheed Fatehpuri. Ajib Kaifiyat AaKHir Talak Rahi Dil Ki is written by Aziz-ur-Rahman Shaheed Fatehpuri. Complete Poem Ajib Kaifiyat AaKHir Talak Rahi Dil Ki in Hindi by Aziz-ur-Rahman Shaheed Fatehpuri. Download free Ajib Kaifiyat AaKHir Talak Rahi Dil Ki Poem for Youth in PDF. Ajib Kaifiyat AaKHir Talak Rahi Dil Ki is a Poem on Inspiration for young students. Share Ajib Kaifiyat AaKHir Talak Rahi Dil Ki with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.