अज़लान शाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़लान शाह

अज़लान शाह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अज़लान शाह
नामअज़लान शाह
अंग्रेज़ी नामAzlan Shah

ये ख़ज़ाने का कोई साँप बना होता है

तुम मोहब्बत का उसे नाम भी दे लो लेकिन

तू बात नहीं सुनता यही हल है फिर इस का

तू आ गया है तो अब याद भी नहीं मुझ को

तवील उम्र की ढेरों दुआएँ भेजी हैं

न हाथ सूख के झड़ते हैं जिस्म से अपने

मुझ को पहचान तू ऐ वक़्त मैं वो हूँ जो फ़क़त

किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए

किस लिए इस से निकलने की दुआएँ माँगूँ

कमाँ न तीर न तलवार अपनी होती है

हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं

हार को जीत के इम्कान से बाँधे हुए रख

एड़ियाँ मार के ज़ख़्मी भी हुए लोग मगर

चुपके से गुज़रते हैं ख़बर भी नहीं होती

चंद क़दमों से ज़ियादा नहीं चलने पाते

ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था

ये ख़ज़ाने का कोई साँप बना होता है

समझ के रस्ता इधर से गुज़रने वालों ने

सफ़र के ब'अद भी सफ़र का एहतिमाम कर रहा हूँ मैं

क़ुबूल होती हुई बद-दुआ से डरते हैं

पीरी नहीं चलती कि फ़क़ीरी नहीं चलती

माँगना ख़्वाहिश-ए-दीदार से आगे क्या है

किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए

कमाँ न तीर न तलवार अपनी होती है

हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं

हार को जीत के इम्कान से बाँधे हुए रख

दूसरा रुख़ नहीं जिस का उसी तस्वीर का है

दुनिया के लिए ज़हर न खालें कोई हम भी

बे-यक़ीनी का तअल्लुक़ भी यक़ीं से निकला

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