बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
नामबयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
अंग्रेज़ी नामBayan Ahsanullah Khan
जन्म की तारीख1727
मौत की तिथि1798
जन्म स्थानDelhi

सीरत के हम ग़ुलाम हैं सूरत हुई तो क्या

लहू टपका किसी की आरज़ू से

हम सरगुज़िश्त क्या कहें अपनी कि मिस्ल-ए-ख़ार

दिलबरों के शहर में बेगानगी अंधेर है

अर्श तक जाती थी अब लब तक भी आ सकती नहीं

ज़ुल्फ़ तेरी ने परेशाँ किया ऐ यार मुझे

ये ख़ूब-रू न छुरी ने कटार रखते हैं

ये आरज़ू है कि वो नामा-बर से ले काग़ज़

या रब न हिन्द ही में ये माटी ख़राब हो

तेरा सितम जो मुझ से गदा ने सहा सहा

तेग़ चढ़ उस की सान पर आई

शिकवा अपने तालेओं की ना-रसाई का करूँ

रात उस तुनुक-मिज़ाज से कुछ बात बढ़ गई

पूछता कौन है डरता है तू ऐ यार अबस

न फ़क़त यार बिन शराब है तल्ख़

मत सता मुझ को आन आन अज़ीज़

मैं तिरे डर से रो नहीं सकता

ले के दिल उस शोख़ ने इक दाग़ सीने पर दिया

कोई समझाईयो यारो मिरा महबूब जाता है

कोई किसी का कहीं आश्ना नहीं देखा

कहता है कौन हिज्र मुझे सुब्ह ओ शाम हो

कहा अग़्यार का हक़ में मिरे मंज़ूर मत कीजो

जो ज़मीं पर फ़राग़ रखते हैं

जादू थी सेहर थी बला थी

जा कहे कू-ए-यार में कोई

इश्वा है नाज़ है ग़म्ज़ा है अदा है क्या है

फ़रहाद किस उम्मीद पे लाता है जू-ए-शीर

दिल अब उस दिल-शिकन के पास कहाँ

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