मुबारक साक़ी-ए-मस्ताँ मुबारक
मुबारक साक़ी-ए-मस्ताँ मुबारक
फ़रोग़-ए-मज्लिस-ए-रिंदाँ मुबारक
जबीन-ए-शौक़ के सज्दों पे सज्दे
तुझे संग-ए-दर-ए-जानाँ मुबारक
तजल्ली-ए-जमाल-ए-रू-ए-जानाँ
तुझे ऐ दीदा-ए-हैराँ मुबारक
अदा-ए-दिलबरी ओ दिल-नवाज़ी
तुझे ऐ ख़ुसरव-ए-ख़ूबाँ मुबारक
रिदा-ए-ख़्वाजगी ताज-ए-विलायत
तुम्हें ऐ मुर्शिद-ए-दौराँ मुबारक
किसी के ज़ख़्म-हा-ए-दिल को या-रब
किसी की जुम्बिश-ए-मिज़्गाँ मुबारक
दर-ए-'वारिस' पे है 'बेदम' का बिस्तर
तिरी जन्नत तुझे रिज़वाँ मुबारक
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